तू और तेरी याद
इक छलावा ही सही
छले जाने का भी
अपना ही मज़ा होता है
ज़िन्दगी रोज़ मुझे
छलती है----सोचा
इक रोज़ ज़िन्दगी को
छल कर देखूँ
और कौन ……तुम ही तो हो
मेरी ज़िन्दगी
मेरी याद
मेरी रूह
मेरा चैन
मेरे आरोह
मेरे अवरोह
तो क्या हुआ
जो इक बार
खुद से खुद को
छल लिया
जीने के लिये
कुछ तो वजह
होनी चाहिये
इक छलावा ही सही
छले जाने का भी
अपना ही मज़ा होता है
ज़िन्दगी रोज़ मुझे
छलती है----सोचा
इक रोज़ ज़िन्दगी को
छल कर देखूँ
और कौन ……तुम ही तो हो
मेरी ज़िन्दगी
मेरी याद
मेरी रूह
मेरा चैन
मेरे आरोह
मेरे अवरोह
तो क्या हुआ
जो इक बार
खुद से खुद को
छल लिया
जीने के लिये
कुछ तो वजह
होनी चाहिये
27 टिप्पणियां:
जीने के लिए..कुछ तो वजह ...होनी चाहिये ..सत्य के बेहद निकट हर शब्द ...।
जीवन को छलावा के साथ नहीं कुछ कर गुजरने की तमन्ना के साथ जो लोग जीते हैं वे ही सिकन्दर कहलाते हैं और वे ही श्रेष्ठ मानवों का निर्माण करते हैं।
सच में यादें तो बस छलावा है...एक झुठा यकीन दिल को..........बहुत ही सुंदर एहसासों में सनी आपकी आज की रचना...सुंदर।
वाकई जब आप जानबूझ कर किसी के द्वारा छले जाते है तो उसका एक अलग किसिम का आनंद होता है
जिन्दगी रोज मुझे
छलती है...... सोचा
इक रोज जिन्दगी को
छल कर देखूँ
बहुत सुन्दर !
जिसने ज़िंदगी को छलना सीख लिया उसे ज़िंदगी जीनी आ गयी ..अच्छी रचना
'इक छलावा ही सही
छले जाने का भी
अपना ही मज़ा होता है'
****************
और यही मजा संघर्षपूर्ण जीवन को भी मजेदार बना देता है ......बहुत सुन्दर भाव
वाह...... वंदना जी खुद को खुद के द्वारा चला ही जा रहा है सदियों से...
** अपने आपको छल लेना आई मुसीबतों पर विजय पाने की ओर पहला कदम है।
सही कहा आपने, जीने के लिए कुछ तो वजह होनी ही चाहिए !
अभिव्यक्ति की प्रखर रश्मियाँ भावों में चमक पैदा कर रही हैं
सुन्दर रचना के लिए बधाई !
छले जाने में एक पीड़ा भी होती है और पहचानने का सत्य भी।
जीने के लिये कुच तो वजह होनी चाहिये । प्रेम हो या प्रेम का आभास ।
छले जाने का भी
अपना ही मज़ा होता है
ज़िन्दगी रोज़ मुझे
छलती है----
बहुत अच्छी लगी आपकी ये कविता ।
बहुत ही सुंदर रचना....
जिंदगी पर आपकी हुकूमत ही तो है उसे छल लेना ...
मुबारक !
जिन्दगी रोज मुझे
छलती है...... सोचा
इक रोज जिन्दगी को
छल कर देखूँ
एक छलावे को छलने का प्रयाश अच्छा है
प्रेम की आसक्ति -
सुंदर अभिव्यक्ति
BAHUT SUNDAR RACHANAA ..HARDIK BADHAI...
SADAR
LAXMI NARAYAN LAHARE
बहुत सही!
अब तो सिर्फ
छले जाने में ही मजा है।
छलने वाले के लिए
कोई नहीं सजा है।
--
टीम इण्डिया ने 28 साल बाद क्रिकेट विश्व कप जीतनें का सपना साकार किया है।
एक प्रबुद्ध पाठक के नाते आपको, समस्त भारतवासियों और भारतीय क्रिकेट टीम को बहुत-बहुत शुभकामनाएँ प्रेषित करता हूँ।
बहुत ही सुंदर रचना.
sunder shabd...
ये दिल्ली वाले
हमेशा दिल की ही
बात करते रहते हैं...
यह जानते हुए भी कि
दिलवाले हमेशा
दिल को छला करते हैं...
वैसे, वंदना जी अपन ने भी दो चार पंक्तियां दिल को छूती लिखी हैं....जरा गौर फरमाइएगा...
तो क्या हुआ
जो इक बार
खुद से खुद को
छल लिया
जीने के लिये
कुछ तो वजह
होनी चाहिये
एक मासूम सी स्वीकारोक्ति
छले जाने का भी
अपना ही मज़ा होता है
Bilkul sahi Vandana ji..
आपका ब्लॉग देखा | बहुत ही सुन्दर तरीके से अपने अपने विचारो को रखा है बहुत अच्छा लगा इश्वर से प्राथना है की बस आप इसी तरह अपने इस लेखन के मार्ग पे और जयादा उन्ती करे आपको और जयादा सफलता मिले
अगर आपको फुर्सत मिले तो अप्प मेरे ब्लॉग पे पधारने का कष्ट करे मैं अपने निचे लिंक दे रहा हु
बहुत बहुत धन्यवाद
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
http://vangaydinesh.blogspot.com/
आपका ब्लॉग देखा | बहुत ही सुन्दर तरीके से अपने अपने विचारो को रखा है बहुत अच्छा लगा इश्वर से प्राथना है की बस आप इसी तरह अपने इस लेखन के मार्ग पे और जयादा उन्ती करे आपको और जयादा सफलता मिले
अगर आपको फुर्सत मिले तो अप्प मेरे ब्लॉग पे पधारने का कष्ट करे मैं अपने निचे लिंक दे रहा हु
बहुत बहुत धन्यवाद
दिनेश पारीक
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bahut khoobsurati se jeene ki vajah khoj li aapne..bahut nazuk khayaal aur behad sundar rachna..
aapko kam hi padha hai ab tak..aage se prayaas rahega is kami ko poora karne ka..
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