पेज

मेरी अनुमति के बिना मेरे ब्लॉग से कोई भी पोस्ट कहीं न लगाई जाये और न ही मेरे नाम और चित्र का प्रयोग किया जाये

my free copyright

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

शनिवार, 20 अक्टूबर 2012

अंकुरण की संभावना हर बीज मे होती है

लगता है मुझे
कभी कभी डरना चाहिये
क्योंकि डर मे एक
गुंजाइश छुपी होती है
सारे पासे पलटने की…
डर का कीडा अपनी
कुलबुलाहट से
सारी दिशाओं मे
देखने को मज़बूर कर देता है
फिर कोई भी पैंतरा
कोई भी चेतावनी
कोई भी सब्ज़बाग
सामने वाले का काम नही आता
क्योंकि
डर पैदा कर देता है
एक सजगता
एक विचार बोध
एक युक्तिपूर्ण तर्कसंगत दिशा
जो कभी कभी
डर से आगे जीत है
का संदेश दे जाती है
हौसलों मे परवाज़ भर जाती है
डर डर के जीना नही
बल्कि डर को हथियार बनाकर
तलवार बनाकर
सजगता की धार पर चलना ही
डर के प्रति आशंकित सोच को बदलता है
और एक नयी दिशा देता है
कि
एक अंश तक डर भी हौसलों को बुलन्दी देता है
क्योंकि
अंकुरण की संभावना हर बीज मे होती है
बशर्ते उसका सही उपयोग हो
फिर चाहे डर रूपी रावण हो या डर से आँख मिलाते राम
जीत तो सिर्फ़ सत्य की होती है
और हर सत्य हर डर से परे होता है
क्योंकि
डर की परछाईं तले
तब सजगता से युक्तिपूर्ण दिशा मे विचारबोध होता है
और रास्ता निर्बाध तय होता है………
अब डर को कौन कैसे प्रयोग करता है
ये तो प्रयोग करने वाले की क्षमता पर निर्भर करता है………

15 टिप्‍पणियां:

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…


अब डर को कौन कैसे प्रयोग करता है
ये तो प्रयोग करने वाले की क्षमता पर निर्भर करता है………
बिलकुल सही !!

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

एक अंश तक डर भी हौसलों को बुलंदी देता है
क्योंकि अंकुरण की संभावना हर बीज रहती है।

बिल्कुल सही कहा आपने,
बहुत बढिया

रश्मि प्रभा... ने कहा…

भय ना हो तो बंद दरवाज़े दिल दिमाग के नहीं खुलते

Vinay ने कहा…

बहुत सुन्दर काव्य

Tech Prévue · तकनीक दृष्टा

Anita ने कहा…

डर का अति सुंदर विश्लेषण...जो डर सजग करदे वह तो वांछनीय ही है..

Asha Joglekar ने कहा…

डर हरेक को लगता है पर कौन इसको हटा कर अपने हौसले बुलंद करता है और कौन नही यही हार जीत तय करता है ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

हर विचार, हर परिस्थिति संभावना लिये है।

सरिता भाटिया ने कहा…

आप लाज़वाब लिखती हैं वंदना जी,आपकी बहुत सी रचनाओं को पढ़ा,आपने जीवन के हर पहलू को छूने का खूबसूरत प्रयास किया है आपसे बात करने को आपसे मिलने को मान विचलित हो पड़ा,तो मेरे फेसबुक पर कृपया अपना नंबर बता दीजिए,मेरे ब्लॉग में जाते ही आप को फेसबुक पेज मिलेगा

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

डर से गर हौसला बढ़ता है तो स्वीकार्य है .... सुंदर विश्लेषण

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

sahi bat dar hota hai to sahas aage aata hai ...

इमरान अंसारी ने कहा…

बहुत सुन्दर ।

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

डर से जित का रास्ता खुल गया....
बहुत बेहतरीन रचना..
:-)

Unknown ने कहा…

क्योंकि डर मे एक
गुंजाइश छुपी होती है
सारे पासे पलटने की…
डर का कीडा अपनी
कुलबुलाहट से
सारी दिशाओं मे
देखने को मज़बूर कर देता है,really very nice

Anju (Anu) Chaudhary ने कहा…

इस मन में जैसे विचार होंगे ,जीवन में उसी की छाया बनी रहेगी .....मन का डर ...एक भाव है जो हर किसी में व्याप्त रूप से अपने पैर पसरे हुए है

Aditya Tikku ने कहा…

utam-***