साहेब मदारी बन डुगडुगी बजा रहे हैं
जनता जानती है नाचना बन्दर सा
देखो खेल सफल हो रहा है
सावन के अंधों को सिर्फ हरा ही सूझ रहा है
वैसे भी मैं इतनी विदेश यात्राएं यूँ ही नहीं कर रहा
बस जनता का जनता को लौटा रहा हूँ
अपना नाम थोड़े ही देश का नाम रौशन कर रहा हूँ
ख्याली पुलाव पकाना आदत है मेरी
जो मुझे जानते हैं विश्वास नहीं करते
चलिए एक साल निकल गया
चार और इसी तरह निकल जायेंगे
आप हमारे सम्मोहन में फंसे किधर जायेंगे
लौट कर बार बार यहीं आयेंगे
यूँ मिशन पूरा हो जाएगा
देश का भला , जनता का भला करते करते
अपना भला कर जायेंगे
आप फिर से कहेंगे जनाब
अच्छे दिन आयेंगे , अच्छे दिन आयेंगे , अच्छे दिन आयेंगे ........
अच्छे दिनों के ख्वाब में ही अच्छे दिन निकल जाएंगे
जनता जानती है नाचना बन्दर सा
देखो खेल सफल हो रहा है
सावन के अंधों को सिर्फ हरा ही सूझ रहा है
वैसे भी मैं इतनी विदेश यात्राएं यूँ ही नहीं कर रहा
बस जनता का जनता को लौटा रहा हूँ
अपना नाम थोड़े ही देश का नाम रौशन कर रहा हूँ
ख्याली पुलाव पकाना आदत है मेरी
जो मुझे जानते हैं विश्वास नहीं करते
चलिए एक साल निकल गया
चार और इसी तरह निकल जायेंगे
आप हमारे सम्मोहन में फंसे किधर जायेंगे
लौट कर बार बार यहीं आयेंगे
यूँ मिशन पूरा हो जाएगा
देश का भला , जनता का भला करते करते
अपना भला कर जायेंगे
आप फिर से कहेंगे जनाब
अच्छे दिन आयेंगे , अच्छे दिन आयेंगे , अच्छे दिन आयेंगे ........
अच्छे दिनों के ख्वाब में ही अच्छे दिन निकल जाएंगे
2 टिप्पणियां:
bahut badhiya
सुन्दर भाव के साथ बेहतरीन प्रस्तुति दिया है आपने.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
http://iwillrocknow.blogspot.in/
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