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बुधवार, 3 सितंबर 2008
जिस्मों से बंधे जिस्मों के रिश्ते
रूह का सफर कभी तय कर नही पाते
जो रिश्ते रूह में समां जाते हैं
वो जिस्मों की बंदिशों से आजाद होते हैं
3 टिप्पणियां:
परमजीत सिहँ बाली
ने कहा…
बढिया!!
3 सितंबर 2008 को 6:37 pm बजे
Anwar Qureshi
ने कहा…
KYA BAAT HAI ..BAHUT KHUB ..
4 सितंबर 2008 को 12:49 am बजे
vijay kumar sappatti
ने कहा…
the best
take care
regards
vijay
10 मार्च 2009 को 12:17 pm बजे
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3 टिप्पणियां:
बढिया!!
KYA BAAT HAI ..BAHUT KHUB ..
the best
take care
regards
vijay
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