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गुरुवार, 4 सितंबर 2008
वो आज तक कुच्छ सुन नही पाया
जो हम उससे कभी कह न पाये
दिल के कुच्छ अरमान
शब्दों के मोहताज़ नही होते
कुच्छ वाकये तो नज़रों से बयां होते हैं
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