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रविवार, 14 दिसंबर 2008
मैंने दर्द का बगीचा लगाया
जिसमें ग़मों के बीज बोए
ज़ख्मों से सींचा उसको
अब तो नासूर रूपी फूलों से
हरी भरी है बगिया मेरी
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