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शनिवार, 30 मई 2009

गंध महकती है

गंध महकती है
कभी तेरे अहसासों की
कभी तेरे ख्यालातों की
कभी अनछुई देह की
कभी अनछुए जज्बातों की
कभी बहकती साँसों की
कभी शबनमी आंखों की
कभी कुंवारे रुखसारों की
कभी मचलते शरारों की
कभी शबनमी मुलाकातों की
कभी लरजते अधखुले लबों की
कभी लहराते गेसुओं की
कभी बलखाती तेरी चालों की
कभी लहराते आँचल की
कभी मदमाती चितवन की
गंध महकती है तेरी
बस गंध महकती है

13 टिप्‍पणियां:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

मन में आभासो की गंध महकती हो।
अधरों पर बरबस मुसकान बहकती हो।
सांसांे की गरमी पैदल चल कर पहुँचे,
कोयल जैसी वाणी चटक चहकती हो।
तब समझो कोई जीवन में आया है।
जिसने बीराने में सुमन खिलाया है।।

sada ने कहा…

बहुत अच्‍छा लिखा है आपने ।

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

kabhi aapki kavitaon ki,
kabhi bhavnaon ki,
kabhi swapnil kalpnaon ki
kabhi pyar ki chhaon ki
gandh mahakti hai

gandh mahakti hai, ye kaun sa flavour hai, vandana ji, bahut khoob. badhai

Vinay ने कहा…

bahut roomaanee rachna hai

अमिताभ श्रीवास्तव ने कहा…

gandh ka mahkna tabhi hota he jab use havaa kaa saath prapt ho/isi tarah rachna bhi mahkti he jab use saral shbdo me rach diya jaya//sarta se likh lena, vichaar poori tarah pravaahit ho jana///yahi to chahiye ek rachna ko// fir kyu nahi vo mahkegi///
achha likha he aapne
pasand aai rachnagandh ka mahkna tabhi hota he jab use havaa kaa saath prapt ho/isi tarah rachna bhi mahkti he jab use saral shbdo me rach diya jaya//sarta se likh lena, vichaar poori tarah pravaahit ho jana///yahi to chahiye ek rachna ko// fir kyu nahi vo mahkegi///
achha likha he aapne
pasand aai rachna

रंजू भाटिया ने कहा…

बहुत सुन्दर एहसास समेट लिए आपने इस रचना में

विजय तिवारी " किसलय " ने कहा…

सच, महक के लिए कोई साथ चाहिए
आपने तो बहुत से बता दिए हैं :-
अहसास
" ख़यालात "
देह
जज़्बात
साँस
प्रयोग अच्छा है.
- विजय

ओम आर्य ने कहा…

aap ki nazme kahi bhaawpurn hai ...........bahut sunder

ओम आर्य ने कहा…

kafi gahare bhawpurna ........bahut khub

ओम आर्य ने कहा…

atisundar ........vandana ji aapke blog par kaee baar visit to kiya par camments post karane par aapke blog par dikhata hi nahi hai

सुशील छौक्कर ने कहा…

वाह क्या लय बनी इस रचना में बिल्कुल मन को सुकुन देते संगीत की तरह। और सुन्दर भाव भी।

बेनामी ने कहा…

गंध महकती है....वाह क्या खूब.....
वैसे यहाँ पर गंध की जगह सुगंध शब्द का प्रयोग भी किया जा सकता था, परन्तु आपने सही नब्ज़ पकड़ी और गंध शब्द का इतना भावपूर्ण प्रयोग किया है कि सुगंध शब्द कहीं टिकता ही नहीं.....

साभार
हमसफ़र यादों का.......

vijay kumar sappatti ने कहा…

kya baat hai ji...

pyaar ki khushbu ke itne shades ...............

waaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaah

bus aur kuch nahi ..sundar laya liye hue kavita ...

good work boss