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गुरुवार, 7 अक्टूबर 2010

बहुत कठिन है डगर पनघट की

अभी तुम्हारी 
चाह ख़त्म 
नहीं हुई
अभी तुम्हारा
प्रेम पूर्णता 
ना पा सका
जब हर चाह
मिट जाएगी तेरी
प्रेम में भी
पूर्णता आ जाएगी
प्रेम में 
शर्त होती नहीं
प्रेम में तो
सिर्फ प्रेमी की 
गति ही 
अपनी गति 
होती है
प्रेम स्वीकारने
का नहीं
महसूस करने का
नाम है
क्यूँ प्रेम को 
स्वीकारने की
चाह रखते हो
इस चाह को भी
तुम्हें मिटाना होगा
जिस दिन 
तेरी हर चाह
मिट जाएगी
तेरी प्रेम की प्यास
भी बुझ जाएगी
फिर प्रेम रस में 
भीग तू  
खुद प्रेम ही 
बन जायेगा 


 

29 टिप्‍पणियां:

संजय भास्‍कर ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
संजय भास्‍कर ने कहा…

मिट जाएगी
तेरी प्रेम की प्यास
भी बुझ जाएगी
फिर प्रेम रस में
भीग तू
खुद प्रेम ही
बन जायेगा

काश..... बस ऐसा ही हो...... वन्दना जी सुंदर प्रस्तुति....

राजेश उत्‍साही ने कहा…

चाहत कभी खत्‍म नहीं होती
खत्‍म होगी जिस‍ दिन
प्रेम खत्‍म हो जाएगा ।

डगर पनघट की कठिन होती है
सरल होगी जिस दिन
पन घट जाएगा ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

फिर प्रेम रस में
भीग तू
खुद प्रेम ही
बन जायेगा
--
व्यष्टि में समष्टि का सन्देश देती सुन्दर रचना!

Saleem Khan ने कहा…

ghazab aur umda !!

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

"अभी तुम्हारी
चाह ख़त्म
नहीं हुई
अभी तुम्हारा
प्रेम पूर्णता
ना पा सका
जब हर चाह
मिट जाएगी तेरी
प्रेम में भी
पूर्णता आ जाएगी ".. सभी प्रकार से स्वार्थ और चाहतों से परे प्रेम ही सच्चा प्रेम होता है.. और सच कह रही हैं आप कि जबतक चाह्तक ख़त्म नहीं होगी प्रेम पूर्ण नहीं हो सकता... सुंदर कविता.. प्रेम को अनोखे ढंग से प्रस्तुत कर रही हैं आप..

rashmi ravija ने कहा…

जिस दिन
तेरी हर चाह
मिट जाएगी
तेरी प्रेम की प्यास
भी बुझ जाएगी
फिर प्रेम रस में
भीग तू
खुद प्रेम ही
बन जायेगा
पर ऐसा होना कितना मुश्किल है...यह प्यास ही तो नहीं मिटती कभी..
बढ़िया अभिव्यक्ति

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच हैं ... प्रेम में तो बस देना ही होता है ... असल प्रेम तो वही है ..... कोई इच्छा कहाँ होती है ...
बहुत अच्छा लिखा है ....

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सच हैं ... प्रेम में तो बस देना ही होता है ... असल प्रेम तो वही है ..... कोई इच्छा कहाँ होती है ...
बहुत अच्छा लिखा है ....

रश्मि प्रभा... ने कहा…

pyaar ... sunne ke baad kuch aur sunaai nahi deta

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

सचमुच, कठिन डगर की सटीक व्याख्या।

Udan Tashtari ने कहा…

फिर प्रेम रस में
भीग तू
खुद प्रेम ही
बन जायेगा

-बहुत सुन्दरता से परिभाषित किया है, वाह!

monali ने कहा…

Prem... vyakhya karna mushkil aur kuchh na kehna asambhav..umda rachna..

बेनामी ने कहा…

आपकी लेखनी का ही जादू है यह.....बहुत ही सुन्दर...
मेरे ब्लॉग इस बार मेरी रचना ...
स्त्री

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

‘तू खुद ही प्रेम बन जाएगा‘
...गहन संवेदनाओं को सुंदरता से अभिव्यक्त करती प्रभावशाली कविता।

कुमार संतोष ने कहा…

प्रेम में भी
पूर्णता आ जाएगी
प्रेम में
शर्त होती नहीं

बिलकुल सही, प्रेम तो त्याग है, समर्पण है !

अजय कुमार ने कहा…

प्रेम की सुंदर व्याख्या ।

मनोज कुमार ने कहा…

कविता भाषा शिल्‍प और भंगिमा के स्‍तर पर प्रेम के प्रवाह में मनुष्‍य की नियति को संवेदना के समांतर, दार्शनिक धरातल पर अनुभव करती और तोलती है । बहुत अच्छी प्रस्तुति।
मध्यकालीन भारत-धार्मिक सहनशीलता का काल (भाग-२), राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें

रानीविशाल ने कहा…

Waah! Behad umda

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

जिस दिन
तेरी हर चाह
मिट जाएगी
तेरी प्रेम की प्यास
भी बुझ जाएगी..

पर मुझे लगता है कि इस बात का उलट होता है ...जिस दिन प्यास बुझ जायेगी तो चाह भी मिट जायेगी ...

अच्छा विश्लेषण किया है

शरद कोकास ने कहा…

इस पंक्ति के बाद एक ही पंक्ति यद आती है ..चल भर लायें जमना से मटकी ।

ASHOK BAJAJ ने कहा…

बेहतरीन पोस्ट .
नव-रात्रि पर्व की हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं .

Yashwant R. B. Mathur ने कहा…

आप सभी को हम सब की ओर से नवरात्र की ढेर सारी शुभ कामनाएं.

नीरज गोस्वामी ने कहा…

जब हर चाह
मिट जाएगी तेरी
प्रेम में भी
पूर्णता आ जाएगी

वाह...गहरी पंक्तियाँ...बेहतरीन
नीरज

deepti sharma ने कहा…

wah bahut sahi

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

प्रेम का पारस।

बंटी "द मास्टर स्ट्रोक" ने कहा…

ताऊ पहेली ९५ का जवाब -- आप भी जानिए
http://chorikablog.blogspot.com/2010/10/blog-post_9974.html

भारत प्रश्न मंच कि पहेली का जवाब
http://chorikablog.blogspot.com/2010/10/blog-post_8440.html

vijay kumar sappatti ने कहा…

prem cha gaya hai , zindagi ke har bhaav par ....sundar kam shbdo me poornta samaye hue ..

badhayi

vijay kumar sappatti ने कहा…

vandana, ek aur baat kahna tha .. ek jagah likha hai tumne ..ki
जिस दिन
तेरी हर चाह
मिट जाएगी
तेरी प्रेम की प्यास
भी बुझ जाएगी

ye bahut hi saar liye hue hai ...

isi ko kabhi aur kisi aur poem me amplify karna ..
acha lagenga ..