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शनिवार, 11 अक्टूबर 2014

आज होगी हर नार नवेली



लीजिये हाजिर है करवाचौथ 
अपने साम दाम दंड भेद के साथ 
आज होगी हर नार नवेली 
नर की होगी जेब भी ढीली 

फिर भी गरियायेंगे 
इक दूजे पर व्यंग्य बाण चलाएंगे 
ये है इक ऐसी पहेली 
सुलझ सुलझ कर हर बार उलझी 

कोई सोलह श्रृंगारा अपनी तस्वीर लगाएगी 
कोई करवाचौथ को ढकोसला बताएगी 
कोई रिश्ते में पड़ी दरार पर लिख जाएगी 
कोई मेहँदी लगे हाथों को चिपका जाएगी 
कोई नववधू  प्रीत के गीत सुना जायेगी 
यूँ फेसबुक पर भी करवाचौथ मना जाएंगी 

वहीँ कोई नर आज खुद को 
एक दिन का खुदा समझेगा 
तो कोई आज के दिन को कोसेगा 
किसी के ज़ख्म हरे हो जाएंगे 
तो कोई बिन पंखों के उड़ रहा होगा 
कोई उपदेश देता नज़र आएगा 
तो कोई खिल्ली उडाता दिख जायेगा 
कोई सिर्फ अपनी छोड़ दूजी नार की तस्वीर पर 
खूबसूरती के कसीदे पढ़ रहा होगा 
फिर चाहे करवाचौथ का रंग एक दिन में उत्तर जाएगा 
मगर अजब गज़ब करवाचौथ को केंद्र बना 
हर कोई अपने - अपने  दिल की लगी कह जायेगा  

जी हाँ , ये है फेसबुक की दुनिया 
यहाँ है सबको मौका मिलता 
अपने सभी हथियारों के साथ 
हर कोई निकालता अपनी भड़ास 


हमने भी निकाली अपनी भड़ास 
लेकिन क्यों हुआ आपका मुखकमल उदास 
सोचा ---मौका भी है और दस्तूर भी 
तो क्यों न बहती गंगा में हाथ धो लिए जाएँ 
कुछ चटपटी  लोकलुभावन बातें की जाएँ 
सबके मुख पर इक मुस्कान खिलाई जाए 
इस बार व्यंग्य पुष्प की वर्षा कर करवाचौथ मनाई जाए :p

देखिये नाराज़ मत होना 
हँसी ठिठोली का है मौका 
यूँ ही मस्ती में दिन गुजर जाएगा 
चाँद का इंतज़ार न बोझिल होगा


4 टिप्‍पणियां:

Ankur Jain ने कहा…

सुंदर रचना।

Satya Narayan Jeengar ने कहा…

अच्छी कविता है....नारी के लिए नारी के द्वारा....व्यंग बाणों से सुसज्जित....नारी के सतीत्व को कुटाक्ष से सजाकर, धर्म पत्नी के धर्म को पत्नी से अलगकर.....मनोरंजन का साधन दिया बता.....नारी के प्रति नारी द्वारा वर्णित इस सम्मान को सदर वंदन.

देवदत्त प्रसून ने कहा…

सभी मित्र परिवारों को आज संकष्टी पर्व की वधाई ! सुन्दर प्रस्तुतीक्र्ण !रोचक !

देवदत्त प्रसून ने कहा…

सभी मित्र परिवारों को आज संकष्टी पर्व की वधाई ! सुन्दर प्रस्तुतीक्र्ण !रोचक ! !