छोड़ दें सब कुछ और कहीं गुम हो जाएं
ज़िन्दगी के पन्ने पर एक इबारत ये भी लिख जाएं
बहुत शोर है
बहुत शोर
अब तो खामोशी में भी
फिर किस सन्नाटे से आँख मिलाएं
बहुत शोर
अब तो खामोशी में भी
फिर किस सन्नाटे से आँख मिलाएं
मैंने मौन के अंधेरे ओढ़े हैं
मुझे रौशनियों से न बहलाओ
मुझे रौशनियों से न बहलाओ
मैं एक रुके हुए समय की बुझती लौ हूँ
मेरी अंतिम साँस पर न पहरे लगाओ
मेरी अंतिम साँस पर न पहरे लगाओ
जाने दो
मुक्त होने दो
मैंने मुक्ति के बीजमंत्र से लिखी हैं नयी ऋचाएं
मुक्त होने दो
मैंने मुक्ति के बीजमंत्र से लिखी हैं नयी ऋचाएं
2 टिप्पणियां:
मुक्ति की तलाश में ही हर सवाल का जवाब है
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