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रविवार, 8 मार्च 2009

आज फिर कहीं कोई मर गया है
आज फिर किसी की अर्थी उठी है
आज फिर किसी की चिता जली है
आज फिर कोई शख्स रुसवा हुआ है
तमाम तोहमतों के साथ
जिंदा होकर भी मर गया है

2 टिप्‍पणियां:

अनिल कान्त ने कहा…

वंदना जी बहुत खूब लिखा आपने ...सचमुच पसंद आया

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

सुशील छौक्कर ने कहा…

क्या कहें। आप लिखती ही ऐसा है कि कई बार शब्द एकदम जबान पर नही आते।