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शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2013

आइये बकवास करें

आइये बकवास करें 
कुछ यूँ नाम रौशन करें 
बकवास महामन्त्र का जाप करें 
खुद को महान योगी सिद्ध करें 
बकवास बकवास बकवास 
सब बकवास ही तो है 
बकवास के भी अपने अर्थ होते हैं 
बकवास का भी अपना महत्त्व होता है 
बशर्ते कहने में दम हो 
बशर्ते कहने वाला दमखम रखता हो 
फिर बकवास भी अर्थ प्रिय हो जाती है 
फिर बकवास भी तवज्जो पाती है 
गर अपनी बकवास को एक ओहदा देना हो 
गर अपनी बकवास पर प्रस्ताव पारित कराना हो 
गर स्वयं को सबकी नज़रों में चढ़ाना हो 
गर अग्रिम पंक्ति में खड़ा होना हो 
तो जरूरी है तुम्हें खुद को सर्वेसर्वा सिद्ध करना 
और इसके लिए जरूरी है 
बकवास जैसे लफ़्ज़ों का प्रयोग करना 
फिर क्या कानून और क्या बिल और क्या आदेश 
सब बदल दिए जायेंगे 
सिर्फ एक तुम्हारे बकवास शब्द की भेंट चढ़ जायेंगे 
तो जाना तुमने कितनी गुणकारी है बकवास 
तो करो प्रण खुद से 
आज से करोगे सिर्फ और सिर्फ बकवास 
जो बना देगी तुम्हारे लिए एक सुलभ रास्ता 
जो पहुंचा देगी तुम्हें तुम्हारी मंजिल पर 
गर तुम पंक्ति में पीछे खड़े होंगे 
तो प्रथम स्थान पर पहुँचाना 
और तुम्हारा महत्त्व राष्ट्रीय दृष्टि में बढ़ाना 
बकवास नामक अचूक हथियार कर देगा 
फिर एक दिन ऐसा आएगा 
बकवास भूषण पुरस्कार से नवाज़ा जाएगा 
ये सर्वोत्कृष्ट पुरस्कार कहलाया जाएगा 
जो बकवास महाराज के बायोडाटा में 
चार चाँद लगाएगा 
ज्यादा कुछ तो नहीं मगर 
इसी बहाने पी एम बनने के सपने पर 
एक मोहर तो जरूर लगाएगा 
तो बोलो 
बकवास महाराज की जय 

17 टिप्‍पणियां:

Dr ajay yadav ने कहा…

आईये बकवास करें |
जाने दीजिए ....|
अब आप कैसी हैं ?

रविकर ने कहा…

सुस्वागतम आदरेया-
सुन्दर निहितार्थ-
आभार

रविकर ने कहा…

सुस्वागतम आदरेया-
सुन्दर निहितार्थ-
आभार

hindi ने कहा…

ये बकवास मनभावन है ..सुंदर प्रस्तुति वंदना जी

संजय भास्‍कर ने कहा…

आइये बकवास करें कुछ यूँ नाम रौशन करें बकवास महामन्त्र का जाप करें
प्रशंसनीय रचना - बधाई
शब्दों की मुस्कुराहट पर ....क्योंकि हम भी डरते है :)

vandana gupta ने कहा…

@ajay yadav ji pahle se sirf itna fark aaya hai ki thoda baith leti hun abhi physiotherapy chal rahi hai poori tarah thik hone me abhi shayad ek mahina aur lag jayega.

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

राजनीति में बकवास करके ही बहुत कुछ पाया जाता है।

yashoda Agrawal ने कहा…

आज और कुछ काम नहीं था क्या दीदी
चलिये कुछ तो होनी ही चाहिये
हवा-पानी बदल जाएगा
पर इसे लिखने के लिये भी हिम्मत चाहिये
सादर....

shalini rastogi ने कहा…

बशर्ते कहने वाला दमखम रखता हो
फिर बकवास भी अर्थ प्रिय हो जाती है
फिर बकवास भी तवज्जो पाती है ....... बहुत खूब लिखा है वंदना जी ... वाह !

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

सुन्दर प्रस्तुति ....!
आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार (05-10-2013) को "माता का आशीष" (चर्चा मंच-1389) पर भी होगी!
शारदेय नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

ज़बरदस्त

Asha Joglekar ने कहा…

आप तो नेता बन जाइये वन्दना जी.

vandana gupta ने कहा…

@ आशा जोगळेकर जी नेता शब्द से ही डर लगता है हम तो जो हैं वो ही अच्छे :)

Unknown ने कहा…

बकवास पर सुन्दर प्रकाश डाला आपने . देश बकवास झेलने को मजबूर है शायद. आशा है आप शीघ्र स्वस्थ होंगी और ब्लॉग्गिंग में रम जायेंगी . शुभकामनाएं

Parul Chandra ने कहा…

बकवास अच्छी लगी।

Shekhar Suman ने कहा…

बकवास तो ठीक है... आप कैसी हैं आज कल ???

Er. AMOD KUMAR ने कहा…

सच का भरमार हैं आपकी लेखनी में वंदना जी , मैं तो पढ़ते ही रह जाता हूँ , और कितना समय निकल जाता हैं पता ही नहीं चलता हैं ....